गोरखपुर

नबी-ए-पाक हज़रत मोहम्मद से मोहब्बत करना ईमान का हिस्सा है: मुफ़्ती रिजवान

  • पुराना गोरखपुर में जलसा-ए-ईद मिलादुन्नबी व दस्तारबंदी

गोरखपुर। सोमवार को बरकाती मकतब की ओर से सवेरा मैरेज हाउस पुराना गोरखपुर गोरखनाथ में भव्य जलसा-ए-ईद मिलादुन्नबी व दस्तारबंदी कार्यक्रम हुआ। जिसमें 19 वर्षीय मोहम्मद मुगीस अंसारी के हाफ़िज़-ए-क़ुरआन बनने पर मुख्य अतिथियों द्वारा दस्तार बांध सनद प्रदान की गई। दुआ व तोहफे से नवाज़ा गया। मुगीस बीटेक करने के लिए कानपुर जा रहे हैं। वहीं दीनी शिक्षा के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान देने वाले घोसी मऊ के मुफ़्ती रिजवान अहमद शरीफी को उलमा किराम ने सम्मानित किया। अध्यक्षता हाफिज रजी अहमद बरकाती ने व संचालन हाफिज रहमत अली निजामी ने किया।

मुख्य वक्ता मुफ़्ती रिजवान अहमद शरीफी ने कहा कि हमारे नबी-ए-पाक हज़रत मोहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की पूरी ज़िन्दगी तमाम इंसानों के लिए आदर्श है। आप एक अच्छे रहबर, इंसान, आदर्श पिता, दोस्त, भाई तथा शौहर के रूप में अपनी विशिष्ट पहचान रखते हैं, जिनके आदर्श पर चलकर किसी भी व्यक्ति का जीवन सफल हो सकता है। प्यारे नबी-ए-पाक हज़रत मोहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम से मोहब्बत करना ईमान का हिस्सा है। बिना नबी-ए-पाक की मोहब्बत के कोई इबादत मकबूल नहीं होती। जब हम मोहब्बत का दावा करते है तो उसका इजहार भी जरूरी है जश्न-ए-ईद मिलादुन्नबी मनाना, जलसा करना, जुलूस निकालना ख़ुशी के इजहार का एक तरीका है।

विशिष्ट वक्ता नायब काजी मुफ़्ती मोहम्मद अज़हर शम्सी ने कहा कि अल्लाह इल्म-ए-दीन हासिल करने वालों से बेहद खुश होता है, इसलिए हम सबको चाहिए की इल्म-ए-दीन खुद भी हासिल करें और घर वालों को भी सिखाएं।

विशिष्ट वक्ता मौलाना जहांगीर अहमद अजीजी ने कहा कि इंसानियत के हित में जितना भी तरीका और शिक्षाएं दीन-ए-इस्लाम में दी गईं हैं, वो दुनिया के किसी भी मजहब में नहीं मिलेंगी। साजिशों से भले ही दुनिया दीन-ए-इस्लाम को चाहे जीतना बदनाम करे, मगर हकीकत तो यह है कि दीन-ए-इस्लाम की शिक्षाएं और दीन-ए-इस्लाम की मोहब्बत लोगों के दिलों में बस्ती जा रही है और लोग दीन-ए-इस्लाम अपनाते जा रहे हैं। नबी-ए-पाक ने हमेशा अमन का पैग़ाम दिया। उनके अमन के पैग़ाम को जन-जन तक पहुंचाने की जरूरत है।

अंत में सलातो-सलाम पढ़कर मुल्को मिल्लत के लिए दुआ की गई। जलसे में मुफ़्ती-ए-शहर अख़्तर हुसैन मन्नानी, हाफिज रजी अहमद, हेसामुद्दीन अंसारी, फरीदा तबस्सुम, मुफ़्ती मेराज अहमद कादरी, मुफ़्ती मुनव्वर रज़ा, कारी फरोग अख़्तर, हाफिज मोहम्मद असलम बरकाती, हाफिज मोहम्‍मद आरिफ, कारी हफीजुल्लाह, कारी मोहम्मद अनस रज़वी आदि ने शिरकत की।

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