गोरखपुर। सब्जपोश हाउस मस्जिद जाफ़रा बाज़ार में चलने वाले मकतब इस्लामियात में उर्स-ए-आला हज़रत मनाया गया। हाफिज रहमत अली निज़ामी ने कहा कि आला हज़रत इमाम अहमद रज़ा ख़ां अलैहिर्रहमां के ज्ञान को इस बात से भी आंक सकते हैं कि आपने महज चंद दिनों में क़ुरआन-ए-पाक के 30 पारे याद कर लिए थे, उनका फरमाना था कि कोई भी शख्स कोई भी किताब एक बार मुझको पढ़ कर सुना दे और दोबारा पूरी किताब मुझ से हूबहू सुन ले। आला हज़रत ने दुनिया की कई बड़ी समस्याओं पर अपने विचार व्यक्त किये और उनको हल करते हुए दुनिया के सामने पेश किया। दुनिया में एक वक्त ऐसा आया कि सिक्के कम होने लगे और करंसी नोटों को बढ़ावा मिलने लगा। उस समय कई बड़े आलिमों ने करंसी के नोटों का प्रयोग करना हराम बता दिया था। इसके बाद आला हज़रत ने शरीअत की रोशनी में एक किताब लिखकर करंसी नोटों के प्रयोग को जायज बताया था। आला हज़रत ने इसका ऐसा फैसला किया कि पूरी दुनिया ने इसे तस्लीम (स्वीकार) किया। इस सिलसिले में उनकी तहकीकात और किताबें देखी जा सकती हैं। अंत में सलातो सलाम पढ़कर फातिहा ख़्वानी की गई। उर्स-ए-पाक में मकतब इस्लामियात के बच्चे, कारी मोहम्मद अनस रज़वी, हाफिज एमादुद्दीन आदि शामिल हुए। शीरीनी बांटी गई ।

