गोरखपुर। स्वतंत्रता दिवस का जश्न मकतब इस्लामियात चिंगी शहीद इमाम चौक तुर्कमानपुर में हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। देश की आजादी के लिए कुर्बानी देने वाले स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों को शिद्दत से याद करते हुए संगोष्ठी हुई। शिफा खातून के हाथ से बनाए पोस्टर आकर्षण का केंद्र रहे। कुरआन-ए-पाक की तिलावत अब्दुस्समद ने की। बच्चों ने नात-ए-पाक, कौमी तराना व देश प्रेम पर आधारित गीत पेश किया।
मुख्य अतिथि सेंट्रल एकेडमी के वरिष्ठ शिक्षक मुजफ्फर हुसैन रूमी ने बच्चों को शिक्षा हासिल करने, वक्त की कद्र करने, मां-बाप की बात मानने, बड़ों का अदब करने की नसीहत की। अध्यक्षता करते हुए वरिष्ठ शिक्षक अली अहमद ने बच्चों को अच्छी आदतों को अपनाने की अपील की।
संचालन करते हुए कारी मुहम्मद अनस रजवी ने जंगे आजादी के तमाम पहलुओं पर प्रकाश डालते हुए कहा कि गोरखपुर की सरजमीं पर राजा शाह इनायत अली, सरफराज अली, मुहम्मद हसन, सरदार अली सहित तमाम जानिसारों ने वतन की आजादी के लिए अपना सब कुछ कुर्बान कर दिया। बसंतपुर स्थित मोती जेल उन अजीम वतन के रखवालों की दास्तान अपने दामन में छुपाए हुए है। यहीं पर मौजूद है खूनी कुआं, पाकड़ का पेड़। जिसमेें सैकड़ों देश प्रेमियों को फांसी के फंदे पर चढ़ा दिया गया।
विशिष्ट अतिथि मुफ्ती मुहम्मद अजहर शम्सी ने हिंदुस्तान की आजादी में मुसलमानों के अहम योगदान व भूमिका पर रोशनी डाली। कहा कि हिन्दुस्तान में अंग्रेज आए और अपनी मक्कारी से यहां के हुक्मरान बन गए। सबसे पहले अंग्रेजों के खिलाफ अल्लामा फजले हक खैराबादी ने दिल्ली की जामा मस्जिद से जिहाद के लिए फतवा दिया। पूरे मुल्क के हिंदू-मुसलमान तन, मन और धन से अंग्रेजों के खिलाफ सरफरोशी का जज्बा लिए मैदान में कूद पड़े।उलमा-ए-अहले सुन्नत ने अपने खून से हिंदुस्तान को सींचा और लोगों को गुलामी के जंजीरों से आजाद होने का जज्बा पैदा किया।
कार्यक्रम में सब्जपोश हाउस मस्जिद जाफरा बाजार के इमाम हाफिज रहमत अली निजामी, नेहाल अहमद, वरिष्ठ शिक्षक आसिफ महमूद, शम्स आलम, सना फातिमा, सानिया, आसिफ, सादिया रौशन, फिजा खातून, शिफा नूर, खुशी, अदीबा फातिमा, इनाया फातिमा, रहमत अली, मुहम्मद शाद, मुहम्मद सफियान, मुहम्मद तौसीफ, अल्ताफ सहित तमाम बच्चे मौजूद रहे।




