पहले डिप्टी सीएम नाराज, फिर PMO से जांच, अब हाईकोर्ट से बुलावा
लखनऊ | योगी सरकार के एसीएस अमित मोहन प्रसाद की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। अपर मुख्य सचिव स्वास्थ्य अमित मोहन प्रसाद चौतरफा घिरते जा रहे हैं। पहले डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक, फिर पीएमओ से जांच और अब हाईकोर्ट ने फटकार लगाई है। इतना ही नहीं हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने अपर मुख्य सचिव चिकित्सा व स्वास्थ्य अमित मोहन प्रसाद को तलब किया है। न्यायालय ने उन्हें हाजिर होकर यह बताने को कहा है कि उन्हें अदालत के आदेश की अवमानना के लिए क्यों न दंडित किया जाए। यह आदेश न्यायमूर्ति जसप्रीत सिंह की एकल पीठ ने डॉ. अनिल कुमार शुक्ला की ओर से दाखिल अवमानना याचिका पर पारित किया।
याची के अधिवक्ता प्रांशु अग्रवाल की दलील थी कि 18 दिसम्बर 2020 को ही याची के सेवा सम्बंधी एक याचिका पर रिट कोर्ट ने अंतरिम आदेश देते हुए कहा था कि याची के निलम्बन काल का यदि कोई निर्वाह भत्ता बकाया है तो उसका हिसाब लगाकर उसे दिया जाए। रिट कोर्ट ने यह भी कहा था कि यदि ऐसा करने में कोई विधिक बाधा हो तो उसकी जानकारी कोर्ट को और याची को दी जाए। न्यायालय ने पाया कि उक्त आदेश के अनुपालन में कोई कदम न उठाए जाने पर याची ने वर्तमान अवमानना याचिका दाखिल की। इसके बाद 10 अगस्त 2021 को एक आदेश पारित करते हुए याची के बकाए भुगतान के दावे को खारिज कर दिया गया।
न्यायालय ने कहा कि 10 अगस्त 2021 के आदेश की भी जानकारी 11 महीने बाद 18 जुलाई 2022 को याची को तब दी गई जब 6 जुलाई 2022 को न्यायालय ने स्पष्ट जवाब तलब किया। वहीं 10 अगस्त 2021 के उक्त आदेश की जानकारी अब तक रिट कोर्ट को जवाबी हलफनामा दाखिल कर नहीं दी गई है। न्यायालय ने कहा कि प्रथम दृष्टया रिट कोर्ट के 18 दिसम्बर 2020 के आदेश का अनुपालन न किए जाने का मामला बनता है। साथ ही न्यायालय ने अमित मोहन प्रसाद के अनुपालन शपथ पत्र को भी खारिज कर दिया है।