धार्मिक

माल व मनसब का लालच दीन के लिए नुकसान दह है

खलील अहमद फैज़ानी

माल व मरतबा का हिर्स निहायत ही
नुकसान दह है …
इन दोनों की मोहब्बत दुनिया की मुहब्बत पैदा करती है और खालिक की इताअत से दूर करती है …
हज़रत काअब बिन मालिक रदी अल्लहो ताआला अन्ह से रिवायत है रसुलुल्लाह सल्लाहो अलैहे वसल्लम ने इरशाद फ़रमाया दो भुखे भेड़िए बकरियों के रेवड़ में छोड़ दिए जाए तो वोह इतना नुकसान नही करते जितना माल और मरतबे की हिर्स् करने वाला अपने दीन के लिए नुकसान दह है …
तलबे शोहरत के लिए गैर जरूरी तनकीद … हराम हलाल की तमीज किए बिना जमा माल
दूसरों की तजलिल करके खुद को लोगो के सामने दाना तसव्वुर करना ….
मशहूर होने के लिए इरतेकाब माईसियत व फिहशा हरकात की शोशल मीडिया पर इशात ….
कौम में इमतेयाजी शनाखत काएम करने के लिए उल्माए दीन की तौहीन ….. वागेरह बे शुमार मफासिद बद किस्मती से हमारे मुआश्रे में दर आए है इन है। निहायत जरूरी है।-

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