गोरखपुर

रमज़ान के अंतिम अशरे में इबादत का सिलसिला तेज

गोरखपुर। रमज़ान शरीफ़ का अंतिम अशरा चल रहा है। 25वां रोज़ा बुधवार को मुकम्मल हो चुका है। चंद रोज़े और बचे हुए हैं। रमज़ान शरीफ़ रुखसत होने वाला है। ईद का त्योहार आने वाला है। रोज़ेदारों के हौसले के आगे सूरज शिकस्त खा चुका है। इबादत का सिलसिला तेज है। तरावीह की नमाज़ पढ़ी जारी है। तिलावत-ए-कुरआन जारी है। एतिकाफ में बंदे खूब इबादत कर रहे हैं। सहरी व इफ्तार का शमां नूरानी है। तंजीम कारवाने अहले सुन्नत के कारी मो. अनस रज़वी, हाफ़िज़ रहमत अली निज़ामी, हाफ़िज़ महमूद रज़ा क़ादरी आदि क़ुरआन शरीफ़ का उर्दू, हिंदी व अंग्रेजी तर्जुमा घरों में पहुंचाने में लगे हुए हैं। करीब 200 से अधिक घरों में क़ुरआन शरीफ़ का तर्जुमा ‘कंजुल ईमान’ पहुंचाया जा चुका है। यह सिलसिला पूरे रमज़ान तक चलेगा।

चिश्तिया मस्जिद बक्शीपुर के इमाम हाफ़िज़ महमूद रज़ा कादरी ने बताया कि पैग़ंबर-ए-आज़म हज़रत मोहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया कि ईद तो दरअसल उन खुशनसीब मुसलमानों के लिए है जिन्होंने रमज़ान शरीफ़ को रोज़ा, नमाज़ और दीगर इबादतों में गुजारा। तो यह ईद उनके लिए अल्लाह की तरफ से मजदूरी मिलने का दिन है। ईद की नमाज़ से पहले सदका-ए-फित्र अदा कर देना चाहिए। कसरत से सदका देना चाहिए।

गौसिया जामा मस्जिद छोटे काजीपुर के इमाम मौलाना मोहम्मद अहमद निज़ामी ने बताया कि निजामुद्दीन औलिया ने कहा है कि अल्लाह के नज़दीक वही इंसान होगा जो टूटे हुए दिलों पर मरहम लगायेगा और उन्हें खुशी देगा। ज़रूरतमन्द लोगों की ईद को खुशगवार बनाने के लिए मुसलमानों को सदका-ए-फित्र देने का हुक्म दिया गया है। यह उन्हीं लोगों को दिया जा सकता है जो जकात के हकदार हैं यानी ग़रीब, मजलूम और मिस्कीन मुसलमान। ईद की नमाज़ पढ़ने से पहले अनाज या पैसे की शक्ल में इसे निकाल दिया जाए।

नूरी मस्जिद तुर्कमानपुर के इमाम मौलाना मोहम्मद असलम रज़वी ने बताया कि जब ईद की सुबह होती है तो अल्लाह अपने मासूम फरिश्तों को तमाम शहरों में भेजता है। चुनांचे वो फरिश्तें ज़मीन पर तशरीफ लाकर सब गलियों और राहों के सिरों पर खड़े हो जाते हैं और इस तरह आवाज देते है ऐ उम्मते मोहम्मद उस अल्लाह की बारगाह की तरफ चलो। जो बहुत ही ज्यादा अता करने वाला और बड़े से बड़ा गुनाह माफ़ फरमाने वाला है। अल्लाह फरमाता है ऐ मेरे बन्दों! मांगों! क्या मांगते हो मेरी इज्जत व जलाल की कसम! आज के रोज इस नमाज़े ईद के इज्तिमा में अपनी आख़िरत के बारे में जो कुछ सवाल करोगे वो पूरा करुंगा और जो कुछ दुनिया के बारे में मांगोगे उसमें तुम्हारी भलाई की तरफ नज़र फरमाऊंगा। मेरी इज्जत की कसम! जब तक तुम मेरा लिहाज रखोगे मैं भी तुम्हारी खताओं पर पर्दापोशी फरमाता रहूंगा। मेरी इज्जत व जलाल की कसम! मैं तुम्हें हद से बढ़ने वाली यानी मुजरिमों के साथ रुसवा न करूंगा। बस अपने घरों की तरफ मगफिरत याफ्ता लौट जाओ। तुम ने मुझे राजी कर दिया और मैं भी तुम से राजी हो गया।

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