गोरखपुर

नबी-ए-पाक से मोहब्बत करना ईमान का हिस्सा है: मुफ़्ती शमीम

बसंतपुर व सहजनवां में जलसा-ए-ईद मिलादुन्नबी

गोरखपुर। ईद मिलादुन्नबी पर्व के बाद शहर में जलसों का दौर जारी है। शहर के विभिन्न मोहल्लों में जलसे हो रहे हैं। यह सिलसिला इसी तरह पूरे माह तक बदस्तूर जारी रहेगा। इसी क्रम में बसंतपुर व सहजनवां में जलसा-ए-ईद मिलादुन्नबी हुआ।

मुख्य वक्ता शाही मस्जिद बसंतपुर सराय के इमाम मुफ़्ती शमीम अमजदी ने कहा कि प्यारे नबी-ए-पाक हज़रत मोहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की पूरी ज़िन्दगी तमाम इंसानों के लिए आदर्श है। आप एक अच्छे रहबर, इंसान, आदर्श पिता, दोस्त, भाई तथा शौहर के रूप में अपनी विशिष्ट पहचान रखते हैं, जिनके आदर्श पर चलकर किसी भी व्यक्ति का जीवन सफल हो सकता है। प्यारे नबी-ए-पाक से मोहब्बत करना ईमान का हिस्सा है। बिना नबी-ए-पाक की मोहब्बत के कोई इबादत मकबूल नहीं होती। जब हम मोहब्बत का दावा करते है तो उसका इजहार भी जरूरी है जश्न-ए-ईद मिलादुन्नबी मनाना, जलसा करना, जुलूस निकालना ख़ुशी के इजहार का एक तरीका है।

अध्यक्षता करते हुए बेलाल मस्जिद अलहदादपुर के इमाम कारी शराफत हुसैन क़ादरी ने कहा कि अल्लाह इल्म-ए-दीन हासिल करने वालों से बेहद खुश होता है, इसलिए आपको चाहिए की इल्म-ए-दीन खुद भी हासिल करें और घर वालों को भी सिखाएं

सहजनवां के जलसे में मौलाना इम्तियाज़ अहमद ने कहा कि इंसानियत के हित में जितना भी तरीका और शिक्षाएं दीन-ए-इस्लाम में दी गयीं, वो दुनिया के किसी भी मजहब में नहीं मिलेंगी। साजिशों से भले ही दुनिया दीन-ए-इस्लाम को चाहे जीतना बदनाम करे, मगर हकीकत तो यह है कि दीन-ए-इस्लाम की शिक्षाएं और दीन-ए-इस्लाम की मोहब्बत लोगों के दिलों में बस्ती जा रही है और लोग दीन-ए-इस्लाम अपनाते जा रहे हैं। नबी-ए-पाक ने हमेशा अमन का पैग़ाम दिया। उनके अमन के पैग़ाम को जन-जन तक पहुंचाने की जरूरत है।

अंत में सलातो-सलाम पढ़कर मुल्को मिल्लत के लिए दुआ की गई। जलसे में हाफ़िज़ अज़ीम अहमद नूरी, हाफ़िज़ सुहेल अहमद, मो. शरीफ़, मास्टर तौफीक, मो. महबूब, मो. महमूद, मो. सरफराज़, मो. दानिश, फारुक, हाजी सदरे आलम, जावेद आदि ने शिरकत की।

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