उत्तर प्रदेश के संभल में स्थित शाही जामा मस्जिद को लेकर एक विवादित मामला सामने आया है। महंत ऋषिराज गिरी ने दावा किया था कि 1529 में बाबर ने एक मंदिर को तोड़कर मस्जिद बनाई थी। इस मामले में सिविल जज आदित्य सिंह की अदालत में एक रिट याचिका दायर की गई, जिसमें अदालत ने 7 दिनों के भीतर सर्वे का आदेश दिया।
सर्वे टीम ने कुछ ही घंटों बाद मस्जिद पर पहुंचकर अपना काम शुरू कर दिया। इस दौरान जिलाधिकारी और वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक भी मौजूद रहे। सर्वे का काम महज 2 घंटों में पूरा हो गया।
सर्वे रिपोर्ट में यह पता चला कि मस्जिद के बारे में किए गए दावे झूठे थे। अदालत के आदेश पर हुए इस सर्वे में सच्चाई सामने आई और यह साबित हुआ कि जामा मस्जिद वास्तव में एक मस्जिद ही है।
हालांकि, सांसद जियाउर्रहमान बर्क ने इस फैसले की मंशा पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा कि यह फैसला किसी भी तरह से न्यायसंगत नहीं है।
इस सर्वे से पहले, मस्जिद के बारे में कई झूठे दावे किए जा रहे थे, लेकिन अब सच्चाई सामने आ गई है। यह सर्वे एक महत्वपूर्ण कदम है जिससे मस्जिद के बारे में फैलाई जा रही गलत जानकारी को रोका जा सके। संभल की जामा मस्जिद का यह सर्वे एक उदाहरण है कि कैसे सच्चाई को सामने लाया जा सकता है और झूठे दावों को खत्म किया जा सकता है।