गोरखपुर

अल्लाह का संदेश व हिदायत है कुरआन-ए-पाक में: कारी निसार

गोरखपुर। मोहल्ला माटपुरवा में जलसा-ए-मेराजुन्नबी हुआ। कुरआन-ए-पाक की तिलावत से जलसे का आगाज़ हुआ। नात-ए-पाक पेश की गई।

मुख्य वक्ता कारी निसार अहमद निज़ामी ने कहा कि सभी के लिए कुरआन-ए-पाक की तालीम हासिल करना बहुत जरूरी है। मुसलमानों को चाहिए कि वह अपने बच्चों को कुरआन-ए-पाक जरूर पढाएं। कुरआन पढ़ने और पढ़ाने में बहुत सवाब है। आख़िरी पैगंबर हज़रत मोहम्मद सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम पूरी इंसानियत के लिए रहमत बनकर आये। आपने इंसानों को उसके हकीकी मालिक अल्लाह से मिलाया। पैगंबर-ए-आज़म पर नाज़िल होने वाली किताब कुरआन-ए-पाक भी एक विशेष कौम व मिल्लत के लिए नहीं बल्कि उसमें सभी इंसानों के लिए अल्लाह का संदेश व हिदायत है। कुरआन-ए-पाक मार्गदर्शन और प्रशिक्षण की एक पूर्ण किताब है ताकि हम अल्लाह की महानता और उसकी शक्ति से अवगत हो सकें। कुरआन-ए-पाक में इल्म और आलिम (ज्ञान और ज्ञानी) को अत्यधिक महत्व दिया गया है क्योंकि यह इल्म (ज्ञान) ही है जो इंसान को अज्ञानता के अंधकार से बाहर निकालता है और मानवता का पराकाष्ठता की ओर मार्गदर्शन करता है। ज्ञान के द्वारा ही इंसान कुरआन-ए-पाक के आशय और पैगंबर-ए-आज़म की शिक्षाओं से परिचित होता है।

अंत में सलातो सलाम पढ़कर मुल्क में अमनो सलामती की दुआ मांगी गई। जलसे में कारी नूर आलम, कारी सरफराज अहमद बरकाती, कारी अशरफ कादरी, सादिक रज़ा नेपाली, कारी कमरे आलम, मौलाना गुलाम नबी, कारी शहाबुद्दीन, मौलाना रहमत अली, मौलाना मकबूल आदि मौजूद रहे।

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