कविता

ग़ज़ल: किस की पुर कैफ़ सी याद आती रही

ज़की तारिक़ बाराबंकवीसआदतगंज, बाराबंकी यारो क्यूँ बेख़ुदी मुझ पे छाती रहीकिस की पुर कैफ़ सी याद आती रही पास आई तो थी ज़िन्दगी सिर्फ़ अश्कदूर जब तक रही मुस्कुराती रही चल पड़ी बे वफ़ाई की इक आँधी ओरप्यार के दीपकों को बुझाती रही नाली का कीड़ा नाली में ही बस जियामख़मली फ़र्श मौत उस पे […]