लेखक: मह़मूद रज़ा क़ादरी, गोरखपुर एक जगह एक प्रोग्राम में मेरा जाना हुआ तो देखा कि एक खातून बड़ी मायूस थी मुसलसल आंखें आंसुओं से तर थी जब प्रोग्राम से फारिग हुए तो मुसाफा के वक्त फूट-फूटकर रोने लगी मैंने तसल्ली देते हुए उन्हें बोलने की हिम्मत दिलाई और पूछा कि मसला क्या है?? रोने […]