बाराबंकी

सिनफे-शायरी में नात कहना सबसे मुश्किल सिनफ है: प्रोफ़ेसर दाऊद अहमद

  • अंजुमन मुस्लिम आना फण्ड की जेली सीरत कमेटी के तहेत ऑल इण्डिया नातिया मुशायरे का आयोजन

फतेहपुर,बाराबंकी(अबू शहमा अंसारी)बारह रबीउल अव्वल के चार दिवसीय कार्यक्रम के अन्तिम दिन अंजुमन मुस्लिम आना फण्ड फतेहपुर की जेली सीरत कमेटी के सहयोग से ऑल इण्डिया नातिया मुशायरे का आयोजन कन्विनर मुशायरा अहमद सईद हर्फ़ के निर्देशन में सतबुर्जी मस्जिद के प्रांगण में आयोजित किया गया। मुशायरे की अध्यक्षता वरिष्ठ शायर वासिफ़ फ़ारूक़ी ने की एवं संचालन का दायित्व क़ासिम उस्मानी ने निभाया। मुशायरे के मुख्य अतिथि प्रोफ़ेसर दाऊद अहमद अध्यक्ष उर्दू विभाग फ़ख़रुद्दीन अली अहमद पीजी कॉलेज महमूदाबाद, मौलाना ज़हीरुल इस्लाम, समाजसेवी सैम खान रहे। इस बीच आये हुए अथितियों व पत्रकारों को आयोजक कमेटी पदाधिकारियों द्वारा अंगवस्त्र व प्रतीक चिन्ह देकर सम्मानित किया गया। इसके बाद कार्यक्रम का प्रारम्भ पवित्र क़ुरआन की आयत से किया गया। तत्पश्चात अध्यक्षता कर रहे मशहूर शायर वासिफ फारूकी ने अपने सम्बोधन में कहा कि पैग़म्बर मोहम्मद सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम ने हमेशा इंसानियत और ईसार व उखूवत का पैगाम दिया है। इस्लाम की शिक्षा के अनुसार हमें अपना जीवन व्यतीत करना चाहिए। अचानक एमरजेंसी में वासिफ फ़ारूकी को जाना पड़ गया तो ज़की तारिक ने मुशायरे की अध्यक्षता का दायित्व निभाया। मुख्य अतिथि प्रोफेसर दाऊद अहमद ने अपने सम्बोधन में कहा कि सिनफे-शायरी में नात कहना सबसे मुश्किल सिनफ है। नात में मोहम्मद सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम की ज़ाते-मुबारक एवं सिफ़ात के बारे में ज़िक्र किया जाता है।
फिर शायरों ने अपने अपने कलाम से ऐसा समा बांधा कि श्रोता मुशायरे के अंत तक जमे रहे।
फ़हीम फ़ाखिर बुलंदशहरी ने पढ़ा- आये थे क़त्ल करने रिसालत मआब को, क़ुरआन जब सुना तो इरादे बदल गए।वक़ार काशिफ़ ने पढ़ा- है वो बेशक बहुत ख़ासारे में, जिसको शक है नबी के बारे में। क़ारी परवेज़ यज़दानी ने पढ़ा- असहाब के हाथों में थी जो सूखी सी लकड़ी, दुश्मन के हाथों में वो तलवार लगे है। राही सिद्दीक़ी ने पढ़ा- ऐ चांद आ ज़रा तेरी नज़रों को चूम लूँ, तूने तो रोज़ देखी है सूरत रसूल की। कलीम तारिक़ ने पढ़ा- मदीने से नही है आना जाके, यहाँ हम क्या करेंगे घर बना के। रिज़वान जमाली ने पढ़ा-वो जिसको चाहे मुल्को माल देता है, वो जिसको चाहे मुसीबत में डाल देता है। हरेक को चाहिए उससे डरता रहे, वो एक पल में तक़ब्बुर निकाल देता है।इसके अलावा ज़की तारिक, शाह ख़ालिद, हस्सान साहिर,काविश रूदौलवी,ग़ुलाम सरवर उड़ीसा,हैरत पिहनवी,उमर अब्दुल्ला, ठाकुर अमर सिंह,ताबिश रेहान,मुफ़्ती तारिक़ जमील,आफताब हामी,नसीम अख़्तर ने भी अपना कलाम पढ़कर ख़ूब वाहवाही लूटी।
मुशायरा कन्वीनर अहमद सईद हर्फ़ ने सभी शोरा-ए-किराम, अतिथियों और श्रोतागण का आभार व्यक्त किया। अंत मे दुआ के बाद मुशायरा समाप्त हुआ।

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